नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के एक फैसले से मौत की सज़ा सुनाई गए उन कैदियों के लिए उम्मीद पैदा ही गई हैं जो दोष साबित होने के बाद गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए हैं। न्यायालय ने कहा की अपीलीय अदालत के लिए कैदियों की मानसिक स्थिति फांसी की सज़ा नही सुनाने के लिए एक अहम पहलू होगी।